इन दिनों देश के किसान गेहूं की फसल पर पूरा ध्यान दे रहे हैं. उत्तर भारत के कई इलाकों में ठंड और बारिश से गेहूं की फसल अच्छी होने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके साथ ही यह समय गेहूं की सिंचाई का भी है. गेहूं की खेती में 4 से 6 बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है. अगर किसान समय पर सिंचाई करता है, तो वह अपनी फसल से अच्छी उपज प्राप्त कर सकता है. हालांकि किसानों को सिंचाई के समय कई बातों का ध्यान रखना होता है. आइए हम आपको इन्हीं बातों के बारे में बताने जा रहे हैं...
गेहूं की फसल में आमतौर पर 4 से 6 सिंचाई करना पर्याप्त रहता है. इस समय गेंहू की फसल में बालियों में फूल आ गए है. अधिक पैदावार के लिए गेंहू की बालियों में फूल आते समय सिंचाई करना अति आवश्यक है, जिससे की गेंहू की पैदावार में वृद्धि होती है. वहीं रेतीली भूमि में 6 से 8 सिंचाई की आवश्यकता होती है. रेतीली मिट्टी में किसानों को हल्की सिंचाई करनी चाहिए, जिसके लिए 5 से 6 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है. जबकि, भारी मिट्टी में गहरी सिंचाई की जरूरत होती है. इसमें किसान को 6-7 सेंटीमीटर तक सिंचाई करनी चाहिए. किसानों को इसका काफी लाभ मिल सकता है.
अच्छी गेहूं की उपज के लिए, मिट्टी के नमी के आधार पर सिंचाई करनी चाहिए. अगर मौसम ठंडा है और भूमि में नमी है, तो सिंचाई को देरी से किया जा सकता है. वहीं अगर जमीन सूखी है, तो तुरंत सिंचाई की आवश्यकता होती है. अगर मौसम गर्म है, तो पौधों को सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूमि में नमी की मात्रा बनी रहे. गेहूं की अच्छी उपज के लिए 35 से 40 सेंटीमीटर पानी की आवश्यकता होती है.
अगर आप किसान है और गेहूं की फसल लगाई है साथ ही आपके पास सिंचाई की सुविधा भी है, तो फसल में 5 से 8 सिंचाई की जा सकती है. पर्याप्त पानी न होने पर 3 से 5 सिंचाई कर सकते हैं. गेहूं की विभिन्न अवस्थाओं में सिंचाई करने से अधिक उत्पादन मिलता है. गेहूं की फसल में 20 से 25 दिन बाद मुख्य जड़ बनने पर पहली सिंचाई करनी चाहिए. इसी तरह, दूसरे सिंचाई 40 से 50 दिन बाद, तीसरी सिंचाई 65 से 70 दिन बाद, चौथी सिंचाई 90 से 95 दिन बाद, पांचवी सिंचाई 105 से 110 दिन बाद और छठी सिंचाई 120 से 125 दिन बाद करें.