प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सोयाबीन की 2 नई उन्नत किस्में लॉन्च की हैं, जो विशेष रूप से बेहतर उत्पादन और कीट प्रतिरोधक क्षमता वाली है। ये नई किस्में भारतीय किसानों को विपरीत मौसम के लिए उच्च उपज देगी। इन उन्नत किस्मों के माध्यम से किसान अपनी उपज और आय को बढ़ा सकते हैं, साथ ही कीट प्रतिरोधक क्षमता से फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनी रहती है। आइए जानते हैं सोयाबीन की इन किस्मों की खासियत उपज के बारे में।
एनआरसी 197 सोयाबीन की एक उन्नत वेरायटी है। सोयाबीन की इस खास किस्म को आईसीएआर-भारतीय अनुसंधान संस्थान, इंदौर, मध्य प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म वर्षा आधारित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 16.24 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है और इस किस्म को तैयार होने में 112.67 दिन का समय लगता है। यह किस्म न टूटने वाली, गिरने के प्रति सहनशील, कीट-पतंगों के हमले के प्रति प्रतिरोधी है और तने की मक्खी के प्रति भी प्रतिरोधी है। इसके अलावा, यह सेमीलूपर के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी और स्पोडोप्टेरा लिटुरा के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
सोयाबीन की इस खास किस्म को आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर, मध्य प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र, उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र और पूर्वी बिहार क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। एनआरसी 149 किस्म भी वर्षा आधारित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है। इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 24.0 क्विंटल है और पकने में 127 दिन का समय लगता है। यह किस्म न टूटने वाली, न गिरने वाली है और तने की मक्खी, पत्तियों को नष्ट करने वाले कीटों, सफेद मक्खी, वाईएमवी, फली का झुलसा और राइजोक्टोनिया हवाई झुलसा जैसी बीमारियों के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है।
इन सोयाबीन की उन्नत किस्मों का उपयोग करके किसान अधिक उत्पादन के साथ-साथ कीट और बीमारियों से भी बेहतर सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।