इस बार मानसून की अच्छी बारिश के चलते क्षेत्र के जलाशयों, बांधों, फार्म पौण्ड में पानी की पर्याप्त आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए रबी सीजन में फसलों का क्षेत्रफल बढ़ने की उम्मीद है। संयुक्त निदेशक कृषि दौसा डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि फसलों की बुवाई के समय किसानों द्वारा फास्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है। किसानों को फास्फेटिक उर्वरक के रूप डीएपी उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है और भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं हो पाती है।
सहायक कृषि अधिकारी दौसा अशोक कुमार मीणा ने महवा स्थित खाद-बीज के विक्रय परिसरों व गोदामों का निरीक्षण कर विक्रेताओं और किसानों को उचित दर पर गुणवत्तापूर्ण कृषि आदान उपलब्ध करवाने के निर्देश प्रदान किए। कृषि अधिकारी मीणा ने किसानों को डीएपी उर्वरक के स्थान पर एसएसपी एवं यूरिया उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी।
फसलों की बुवाई के समय खेतों में डीएपी की जगह पर 1 बैग डीएपी के स्थान पर 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) एवं 1 बैग यूरिया का इस्तेमाल करें। एसएसपी में उपस्थित फास्फोरस तत्व के आलावा अन्य पोषक तत्वों जैसे- सल्फर, जिंक सल्फेट और बोरान आदि पोषक तत्व भी उपलब्ध होते हैं। 3 बैग एसएसपी व 1 बैग यूरिया में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत डीएपी में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत से काफी कम होती है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाए जाने हेतु कार्बनिक खादों व गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद, खली, फोम, एलफाम, आर्गेनिक मैन्योर इत्यादि का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। उर्वरकों की लागत को कम करने एवं भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक न्यू ऐज तरल उर्वरक नैनों यूरिया, नैनो डीएपी का उपयोग करना चाहिए। किसान खेतों से मिट्टी की जांच के आधार पर बनाए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार भूमि में उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।
सिंगल सुपर फॉस्फेट के फायदे: सिंगल सुपर फॉस्फेट एक बेहद किफायती उर्वरक है, जिसमें करीब 16% फास्फोरस और 11% सल्फर होता है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, दूसरे उर्वरक की तुलना में दलहन और तिलहनी फसलों के लिये सल्फर काफी फायदेमंद होता है। फसलों को नाइट्रोजन की जितनी आवश्यकता होती है, फॉस्फेट भी उतना ही महत्वपूर्ण है। फॉस्फेट पौधे के विकास को बढ़ावा देता है। पेड़ पर फूल और फल अधिक मात्रा में लगते हैं।