श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मोदी सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 0% से बढ़ाकर 20% करने का फैसला लिया है। अन्य तत्वों को जोड़ने के बाद, कुल प्रभावी शुल्क 27.5% हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य विशेष रूप से सोयाबीन और मूंगफली जैसे तेल फसल उत्पादकों के हितों की रक्षा करना है, जिनकी फसलें जल्द ही बाजार में आने वाली हैं। आयात शुल्क बढ़ाने से घरेलू किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमतें मिलने की उम्मीद है, जबकि रबी सीजन में तिलहन की बुवाई में भी वृद्धि होने की संभावना है। इसके साथ ही सरसों की फसल की कीमतें भी बढ़ेंगी। सोया खली के उत्पादन में भी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे संबंधित क्षेत्रों और निर्यात को लाभ मिलेगा।
सरकार ने बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात शुल्क को भी हटा दिया है। श्री चौहान के अनुसार, इस फैसले से बासमती चावल उत्पादकों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त होंगे। निर्यात शुल्क हटने से बासमती चावल की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी और किसानों की आय में सुधार होगा।
मोदी सरकार ने रिफाइंड तेल पर बेसिक ड्यूटी को भी बढ़ाकर 32.5% कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली जैसी फसलों की मांग को बढ़ाना है, जिनका उपयोग तेल उत्पादन में होता है। इस फैसले से इन फसलों के लिए किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी, साथ ही छोटे और ग्रामीण क्षेत्रों में रिफाइनरियों की संख्या बढ़ेगी, जिससे रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
इसके अलावा, सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क को 40% से घटाकर 20% कर दिया है। श्री चौहान ने बताया कि इस निर्णय से प्याज उत्पादकों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य मिलेंगे और प्याज निर्यात में भी वृद्धि होगी। इस फैसले से न केवल किसानों को, बल्कि प्याज से जुड़े अन्य क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचेगा।
किसानों की भलाई के प्रति मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता : ये नीतिगत बदलाव मोदी सरकार की किसानों की भलाई और आर्थिक सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कृषि क्षेत्र, सरकार के विकास एजेंडे का एक प्रमुख हिस्सा बना रहेगा।