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मणिपुर में कड़ी सुरक्षा में किसानों ने शुरू की काला चावल की खेती,

मणिपुर में कड़ी सुरक्षा में किसानों ने शुरू की काला चावल की खेती,
मणिपुर में कड़ी सुरक्षा में किसानों ने शुरू की काला चावल की खेती,

मणिपुर में कड़ी सुरक्षा में किसानों ने शुरू की काला चावल की खेती, अबतक 15,437.23 मीट्रिक टन का नुकसान मणिपुर में बिगड़े हुए हालातों के बीच इंफाल पश्चिम जिले के कौब्रू की तलहटी में धान की खेती की प्रक्रिया कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई है। सुरक्षा बल राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के किसानों को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। किसान धान की खेती के लिए कड़े सुरक्षा पहरे के बीच अपनी जमीन जोतते नजर आए। बुआई के मौसम के दौरान किसानों की सुरक्षा के लिए मुख्य रूप से सेना और असम राइफल्स के जवानों को कांगपोकपी और पश्चिमी इंफाल जिलों में तैनात किया गया है। 

कांगपोकपी और पश्चिमी इम्फाल क्षेत्र प्रसिद्ध 'काले चावल' के लिए जाने जाते हैं। इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के जवानों की मौजूदगी का उद्देश्य धान की खेती में लगे मेइती और कुकी किसानों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कराना, उन्हें जातीय हिंसा से बचाना है। अशांत क्षेत्रों में किसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए राज्य में खेती कर रहे किसानों की सुरक्षा के लिए लगभग 2,000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा. 

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को एकीकृत कमान की एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद घोषणा की कि कृषि उद्देश्यों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कांगपोकपी, चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम और काकचिंग जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा। राज्य में जातीय हिंसा की वजह से कृषि क्षेत्र, किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो पूर्वोत्तर राज्य में खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसान लगभग 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खेती नहीं कर पाये, जिसके परिणामस्वरूप 28 जून तक 15,437.23 मीट्रिक टन का नुकसान हुआ. अगर इस मानसून मौसम में धान की खेती नहीं हो पाई तो जुलाई के अंत तक नुकसान और बढ़ जाएगा। बता दें कि मणिपुर में लगभग 200,000 से 300,000 किसान 195,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की खेती करते हैं।
 

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