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पशुपालकों के लिए खुशखबरी, अनूपपुर में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत 50% अनुदान और विदिशा में पशु जागरूकता अभियान

पशुपालकों के लिए खुशखबरी, अनूपपुर में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत 50% अनुदान और विदिशा में पशु जागरूकता अभियान
राष्ट्रीय पशुधन मिशन

अनूपपुर में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत अनुदान: पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप संचालक डॉ.ए.पी. पटेल ने बताया है कि पशु पालन एवं डेयरी विभाग की योजना के अंतर्गत मुख्यतः पशु नस्ल विकास तथा उद्यमिता विकास की गतिविधियों को शामिल कर बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण कुक्कुट पालन, भेड़ व बकरी पालन, शूकर  पालन, साइलेज उत्पादन, फॉडर ब्लॉक तथा टोटल मिक्सड राशन के उत्पादन हेतु ऋण एवं अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।

बैंकों व भारत सरकार द्वारा हितग्राहियों ऋण उपलब्ध करवाना:

भारत सरकार और बैंको से लाभार्थियों व उद्यमियों को 50 प्रतिशत ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। इस अनुदान की राशि 2 समान किस्तों में प्रदान की जाती है। पशु पालन एवं डेयरी विभाग की योजना की पहली किस्त बैंको के द्वारा तथा दूसरी किस्त परियोजना कंप्लीट होने पर भारत सरकार सीधे ऋणदाता बैंक को उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिये हितग्राही को (https://nlm.udyamimitra.in/) पोर्टल पर  ऑन लाइन  आवेदन करना होता है। 

विदिशा में पशुओं के लिए विशेष जागरूकता अभियान:

वर्षा ऋतु में बदलते मौसम में जहाँ  मानव जीवन के स्वास्थ्य सुरक्षा पर फोकस जरूरी है, वहीं पशुधन की भी वर्षा ऋतु में देखभाल बहुत आवश्यक है। कलेक्टर श्री बुद्धेश कुमार वैद्य के माध्यम से दिए गए निर्देशों में पशुपालन विभाग की ओर से विशेष जागरूकता अभियान चलाकर पशुपालकों को उनके पशुओं की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विभाग द्वारा बताया गया कि इस मौसम में वातावरण में आई नमी में बढ़ोतरी के कारण पशुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

बरसात के सीजन में पशुपालकों का ऐसे रखें ध्यान: पशुओं को बरसात के मौसम में सूखे स्थान पर रखें, जहाँ पर हवा व धूप की पर्याप्त मात्रा में हो। यदि पशुओं को पक्के फर्श पर रखा जाता है तो उस स्थान पर सप्ताह में कम से कम शाम व सुबह दो बार कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करें। परजीवियों से बचाव के लिए बाड़े में मच्छरदानी का प्रयोग करें और समय समय पर नजदीकी पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर परजीवियों से बचाव के लिए दवाईयाँ व जानकारी प्राप्त करें। पशुओं के खुरों को समय-समय पर साफ करते रहें व नियमित टीकाकरण करायें।

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