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एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना से आपको कैसे होगा फायदा, यहाँ जानें

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना से आपको कैसे होगा फायदा, यहाँ जानें
बागवानी मिशन सब्सिडी योजनाओं

मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो किसानों को बागवानी क्षेत्र में उनकी आय को बढ़ाने और उनकी जीवनस्तर को सुधारने के लिए बनाई गई है। इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। आइए जानते हैं एमआईडीएच के विभिन्न उद्देश्यों और उसके प्रभावों के बारे में विस्तार से।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) की शुरुआत:

2014 में एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) की शुरुआत हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में बागवानी के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है। यह मिशन 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कार्यान्वित किया गया। MIDH के अंतर्गत कृषि और सहकारिता विभाग की 6 चल रही योजनाओं को एकीकृत और समाहित किया गया है, जिससे बागवानी क्षेत्र में समग्र विकास संभव हो सके।

प्रमुख योजनाओं का एकीकरण:

MIDH के तहत निम्नलिखित प्रमुख योजनाओं को शामिल किया गया है:

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
  2. पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (HMNEH)
  3. राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM)

इसके अलावा, तीन केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं भी इस मिशन का हिस्सा हैं:

  1. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB)
  2. नारियल विकास बोर्ड (CDB)
  3. केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH), नागालैंड

बागवानी विकास के लिए स्थायी उपाय: MIDH के अंतर्गत बागवानी विकास के लिए स्थायी और समग्र उपायों को अपनाया गया है। इसके माध्यम से जल संसाधनों का संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता में सुधार और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही, फसल विविधीकरण और उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के उद्देश्य: एमआईडीएच का प्रमुख उद्देश्य बागवानी फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसके तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी, विपणन सुविधाओं का विकास, और पौध संरक्षण के उपाय प्रदान किए जाते हैं।

वित्तीय सहयोग और योगदान: भारत सरकार इस योजना के तहत विकास कार्यक्रमों के लिए कुल परिव्यय का 60% योगदान देती है, जबकि शेष 40% हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है। विशेष रूप से उत्तर पूर्व और हिमालयी राज्यों के मामले में, केंद्र सरकार 90% योगदान प्रदान करती है, जिससे इन क्षेत्रों में बागवानी का अधिकतम विकास हो सके।

बागवानी फसलों की विविधता:

इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार की बागवानी फसलें शामिल हैं

  1. फल और सब्जियाँ: आम, केला, सेब, संतरा, टमाटर, आलू आदि।
  2. जड़ और कंद फसलें: अदरक, हल्दी, शकरकंद आदि।
  3. मशरूम और मसाले: मशरूम की खेती, काली मिर्च, इलायची आदि।
  4. फूल और सुगंधित पौधे: गुलाब, जास्मिन, लैवेंडर आदि।
  5. नारियल, काजू, और कोको: नारियल के उत्पाद, काजू की खेती, कोको की उत्पादन तकनीकें।
  6. बांस: बांस की विविधताएं और उनके उपयोग।

बागवानी को बढ़ावा देने में MIDH की भूमिका: बागवानी क्षेत्र को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने में MIDH (मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर) की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके कार्यान्वयन से 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बागवानी क्षेत्र में 7.2% की स्वस्थ वृद्धि दर प्राप्त होने की उम्मीद है। MIDH की पहल के तहत, किसानों को उन्नत तकनीक, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक कृषि उपकरणों की सहायता मिलती है, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।

एमआईडीएच के तहत चलने वाले कार्यक्रम:

बागवानी विकास कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत बागवानी फसलों के उत्पादन और विपणन के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं। इनमें नई तकनीकों का प्रयोग, गुणवत्तापूर्ण बीजों का वितरण, और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण शामिल हैं।

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संरक्षित खेती: संरक्षित खेती के माध्यम से उच्च गुणवत्ता की फसलें प्राप्त की जा सकती हैं। पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस, और शेड नेट हाउस जैसी संरचनाओं का उपयोग किया जाता है जिससे फसलें प्रतिकूल मौसम से सुरक्षित रहती हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है।

योजना के लाभ:

इस योजना का लक्ष्य निम्नलिखित लाभ प्रदान करना है

  1. फसलों की उत्पादकता में वृद्धि: पारंपरिक फसलों से लेकर विविध उत्पादकता में वृद्धि होगी। बागानों, बागों, अंगूर के बागों, फूलों, सब्जी के बगीचों और बांस के बागानों का विविधीकरण किया जाएगा।
  2. कोल्ड चेन अवसंरचना: शीघ्र नष्ट होने वाली उपजों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए कोल्ड चेन अवसंरचना पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। खेती, उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन और प्रसंस्करण के लिए अनुसंधान और विकास प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  3. फसलोपरांत प्रबंधन: फसलोपरांत प्रबंधन, मूल्य संवर्धन हेतु प्रसंस्करण और विपणन अवसंरचना में सुधार किया जाएगा।    

योजना के लिए पात्रता:

सभी किसान, पंजीकृत समितियां और राज्य सरकारें इस योजना के लिए पात्र हैं, आवश्यक दस्तावेज़

  1. आधार संख्या
  2. भूमि दस्तावेज
  3. जाति प्रमाण पत्र
  4. बैंक विवरण
  5. पासपोर्ट साइज फोटो

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी:

योजना का नाम   एकीकृत बागवानी विकास मिशन(MIDH) योजना
शुरू की गई अप्रैल 2014
 मंत्रालय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
लाभार्थी सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश
उद्देश्य बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देना
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन एवं आफॅलाइन
अधिकारिक वेबसाइट http://midh.gov.in/

आवेदन प्रक्रिया ऑफलाइन:

  1. आवेदन करने के लिए, योजना में रुचि रखने वाले उत्सुक आवेदक अपने जिले के बागवानी अधिकारी या ब्लॉक बागवानी अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
  2. जिला बागवानी अधिकारी या ब्लॉक बागवानी अधिकारी आपके आवेदक का विवरण और योजना की योजना को राज्य बागवानी मिशन को प्रस्तुत करेंगे।
  3. राज्य बागवानी मिशन मिलेगा आपके प्राप्त उद्यमियों के प्रस्तावों का अंतिम मूल्यांकन करेगा।

यदि आपके प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो आपको वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

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