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Paddy Farming: धान की खेती में कितना पानी दें, जानिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह शुरू से ही रखें इन बातों का ध्यान

Paddy Farming: धान की खेती में कितना पानी दें, जानिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह शुरू से ही रखें इन बातों का ध्यान
धान की खेती में कितना पानी दें

धान की खेती पूरे देशभर में की जाती है। खरीफ सीज़न के फसलो में से धान की खेती के लिए रोपाई और पानी की मात्रा का खास ध्‍यान दिया जाए तो किसानों को अच्‍छी पैदावार मिल सकती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों इस में विस्तार से जानकारी दी है। धान की खेती में उचित जल प्रबंधन और सिंचाई बहुत आवश्यक है। 

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की खेती के लिये जून में इसकी नर्सरी डालने का काम अधिकांश जगहों पर शुरू हो जाता है। धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिए इसमें पानी का सही प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसलिए नर्सरी में हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए और नर्सरी में कभी भी जलजमाव की स्थिति न उत्पन्न होने दें। सिंचाई की दृष्टि से धान की खेती में फव्वारा विधि काफी लाभदायक होती है।

क्‍यारियां बनाने से बढ़ती है पैदावार:

धान की खेती विभिन्न राज्‍यों में पानी की बचत कम करने के लिए धान की फसल क्‍यारियों में लगायें। उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में इस प्रयोग से 30 दिन की जगह 20 दिन की ही पनीरी लगाने से फसल तैयार हो जाती है। साथ ही इसमें कम कीटनाशकों का भी उपयोग करना पड़ा। इससे डीज़ल का खर्च कम होता है और किसानों की मेहनत, समय, लागत और पानी की बचत भी होती है।

खेत में कितना पानी दें: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार धान की सिंचाई हमेशा शाम के समय करनी चाहिए। धान की रोपाई के करीब एक सप्ताह बाद जब कल्ले निकलना शुरू हो जाते हैं, तब तक खेत में 2 से 3 सेंमी पानी भरा रहना चाहिए। धान के कल्ले निकलने, फूल बनने के समय खेत में 5 से 7 सेमी जल भरा होना चाहिए। इसके बाद बाकी समय में खेत में जल भरा रखने की आवश्यकता नहीं होती है। इससे फसल की बढ़वार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

जल निकासी का करें प्रबंध: धान की खेती में ही नहीं अपितु सभी फसलों की खेती के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, इससे धान की पैदावार में बढंत होती है। ऐसे क्षेत्र जहां जल भराव की स्थिति रहती है, वहां जल निकासी का उचित प्रबंध आवश्यक है। इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि खेत में नमी हमेशा रहनी चाहिए। 

बीज का शोधन करें: रोपाई और बुवाई विधियों से धान की खेती करने से पहले बीज का शोध करना बहुत आवश्यक है। यदि शुरू में ही बीज का उपचार कर लें तो फसल में होने वाले कई तरह के रोगों को रोका जा सकता है। एक अनुमान के तहत प्रति हेक्‍टेयर धान की रोपाई में बीज शोधन पर तकरीबन 25 से 30 रुपये लगते हैं। कई लोग बीज शोधन में हर 25 किलो बीज में 4 ग्राम स्‍ट्रेपटोसाइक्‍लीन और 75 ग्राम थीरम मिलाते हैं। 

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