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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाने का विज़न, हाइड्रोजन उद्योग को मिलेगा बढावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाने का विज़न, हाइड्रोजन उद्योग को मिलेगा बढावा
भारत का हरित हाइड्रोजन मिशन

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2024) के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की प्रतिबद्धता और हरित हाइड्रोजन को ऊर्जा क्षेत्र में एक उभरते हुए आशाजनक विकल्प के रूप में रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हरित हाइड्रोजन एक ऐसा ही उभरता हुआ समाधान है, जिसमें रिफाइनरी, उर्वरक, इस्पात और भारी परिवहन जैसे कठिन क्षेत्रों का डीकार्बोनाइजेशन करने की क्षमता है।  

भारत को हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण कदम:

प्रधानमंत्री ने कहा, हम भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन इस लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नवाचार को बढ़ावा देगा, बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा, उद्योग के विकास को प्रेरित करेगा और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करेगा। भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता पिछले एक दशक में लगभग 300% बढ़ी है और इसी अवधि में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता में 3000% की चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। 

8 लाख करोड़ रुपये के निवेश और 6 लाख रोजगार देने का लक्ष्य:

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि इसे इस उभरते हुए क्षेत्र में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जो न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा बल्कि आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देगा। यह मिशन 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और 6 लाख रोजगार सृजन की क्षमता रखता है, साथ ही यह प्राकृतिक गैस और अमोनिया के आयात पर निर्भरता को भी कम करेगा, जिससे 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके साथ ही, हम 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 5 मिलियन मीट्रिक टन तक कम करने के लक्ष्य को भी हासिल करेंगे।  

2030 तक 50 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य:

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर जोर दिया। 2030 तक 50 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का हमारा लक्ष्य, अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए $100 बिलियन का निवेश और 125 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विकास आवश्यक होगा। मिशन न केवल 15 मिलियन मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन को प्रतिवर्ष कम करेगा, बल्कि आयात में भी पर्याप्त बचत करेगा। हम इस क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए पायलट परियोजनाओं, हाइड्रोजन हब और अनुसंधान और विकास पहलों को लागू कर रहे हैं, जो मजबूत वित्तीय आवंटन और व्यापक प्रोत्साहन ढांचे द्वारा समर्थित हैं। इस मिशन की सफलता केंद्र और राज्य सरकारों तथा उद्योग भागीदारों के संयुक्त प्रयासों पर निर्भर करेगी। 

2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य:

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर एस. भल्ला ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने हरित हाइड्रोजन को एक शुद्ध ऊर्जा स्रोत के रूप में रेखांकित किया, जिसका शून्य CO2 उत्सर्जन होता है और इसके कई क्षेत्रों में विविध उपयोग होते हैं। श्री भल्ला ने प्रधानमंत्री के पंचामृत योजना के अनुरूप भारत के महत्वाकांक्षी हरित हाइड्रोजन उद्देश्यों को भी रेखांकित किया। इसमें 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य शामिल हैं।  

हरित हाइड्रोजन में भारत की भूमिका:

भारत में हाइड्रोजन की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है, जिसमें 2050 तक 29 मिलियन मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। श्री भल्ला ने बताया कि अब तक 152 मानकों की सिफारिश की गई है, जिनमें से 81 पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद ने हरित हाइड्रोजन को सुलभ और व्यापक बनाने के लिए नवोन्मेषी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास महत्वपूर्ण हैं। हमें चुनौतियों का समाधान करने और हरित हाइड्रोजन की पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए अनुसंधान और विकास को निरंतर समर्थन देना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत हरित हाइड्रोजन में एक परिवर्तनकारी युग की अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रचुर मात्रा में नवीकरणीय संसाधनों और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी पहलों के साथ, हमारा देश वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है।

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