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Rajasthan news: राजस्थान में बेमौसमी बारिश से किसानों की कमर टूटी, 40% से अधिक खरीफ फसलों को भारी नुकसान

Rajasthan news: राजस्थान में बेमौसमी बारिश से किसानों की कमर टूटी, 40% से अधिक खरीफ फसलों को भारी नुकसान
राजस्थान के किसानों के लिए बारिश बनी आफत

इस साल राजस्थान में रिकॉर्डतोड़ बारिश हो रही है, जिससे राज्य की खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। भरपूर बुवाई के बावजूद, कमोडिटी व्यापारियों का अनुमान है कि बारिश पर निर्भर फसलों को 30 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान होगा। बाजार में आने वाली आधी से ज्यादा उपज खराब होने की संभावना है। हालांकि, यदि मौसम साफ हो जाता है, तो नुकसान 10 से 20 प्रतिशत तक कम हो सकता है। कई गावों में बारिश के कारण ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। राजस्थान में कई किसान जल प्रवाह और फसल मुआवजे को लेकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

व्यापारियों ने बताया ग्वार, मूंग और बाजरा में गंभीर नुकसान:

व्यापारियों ने बताया कि ग्वार में 30-50% और मूंग में 40-50% तक नुकसान हो रहा है, जबकि बाजरा की फसल भी 30-40% प्रभावित हो सकती है। यदि मौसम साफ नहीं हुआ, तो बाजरा केवल पशु चारे के लायक बचेगा। हालांकि, मूंगफली की फसल को अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है। फसलों में सड़न, दाग और बीजों की कमी मुख्य समस्याएं हैं। व्यापारियों ने यह भी कहा कि इस बारिश से रबी सीजन को लाभ होगा, क्योंकि बांध भर गए हैं और भूजल स्तर बढ़ा है, जिससे सिंचाई की समस्या कम हो जाएगी।

खरीफ बुवाई के आंकड़े और फसल नुकसान की चिंता:

4 सितंबर को राज्य के कृषि विभाग ने खरीफ बुवाई की अंतिम रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार, राज्य में धान 2.97 लाख हेक्टेयर में बोया गया, जो लक्ष्य का 145 प्रतिशत है। ज्वार 6.60 लाख हेक्टेयर में (लक्ष्य का 108 प्रतिशत), बाजरा 43.24 लाख हेक्टेयर में (लक्ष्य का 98 प्रतिशत) और हरा चना 23.15 लाख हेक्टेयर में (लक्ष्य का 92 प्रतिशत) बोया गया। अन्य फसलें जैसे मोठ, मूंगफली, सोयाबीन और ग्वार भी अपने लक्ष्य के करीब या उससे अधिक बोई गई हैं।

राजस्थान की जीडीपी में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान लगभग 27 प्रतिशत है, जिससे मौजूदा फसल नुकसान राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। हालाँकि पिछले 2 दिनों में बारिश में थोड़ी कमी देखने मिली है। व्यापारी और किसान अब मौसम के साफ होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि इस साल की खरीफ फसल का कुछ हिस्सा बचाया जा सके।
 

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